लहू ख़ौल उठा

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नमस्कार दोस्तों आज के इस नये कविता में 78 वें स्वतंत्रता दिवस पर एक कविता अर्ज किया है..... उम्मीद है आप सभी को बहुत पसंद आएगा, अधिक से अधिक लाइक शेयर एवं शेयर करें 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

जशपुर के दासडुमरटोली में हर्षोल्लास के साथ 78 वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया, गांव के बच्चे अपने सुन्दर प्रस्तुति के कारण सबका मन मोहा, और आज प्रस्तुत है आजादी के जश्न पर मेरी ये लेख 
1.लहू खौल उठा, उबल उबल कर लाल हो गया।
भारत के हर जवां का दिल, चाइना से पंगा लेगा।।
नफ़रत है उस देश से हमें, जो कीड़ा मकोड़ा खाया।
हिन्दुस्तान का गरम लहू,अब चाइना का धड काटेगा।।

2.हर हिन्दुस्तानी के दिल में, एक ख्वाब सजा है।
चाइना मरेगा कुत्ते की मौत,अब वक्त कि सजा है।।
वहां की आर्मी को कौवे नोचे,मर मर के सड़ेंगे।
हिन्दुस्तान का गरम लहू है, हम भी इसके लिए मर मिटेंगे।।

3.लाख करेगा जतन,अब उस मुल्क की खैर नहीं।
चेहरे से गीदड़ लगते है,जिसका हाथ पैर नहीं।।
सुवर की शक्ल में है चाइना तू, तेरे पास कुछ नहीं है काज।
हिन्दुस्तान का गरम लहू है, काट कर तुम्हारा मांस बाटेंगे आज

4.जाग जाओ भारतीयों,ये वक्त मातृभूमि का कर्ज चुकाना है।
अपनी भूमि, अपनी मां,का दूध का कर्ज चुकाना है।।
अपनी मातृभूमि की आबरू पर,कोई हैवानियत कर रहा है।
हिन्दुस्तान का गरम लहू को, चाइना गीदड़ जैसे ललकारा है।।

5.आपको सभी को इस माटी को सौगंध है, जाग जाओ।
कोई हमें आंख दिखा रहा , आंख उसकी नोच डालो।।
अब तो कयामत कि रात आएगी,अपने मन में कुछ सोच डालो
हिंदुस्तान का गरम लहू है,अपने देश के लिए और उबाल डालो

6. मैं नमन करता है, उन मां के लाडलों को, उन दुलारों को।
वन्दे मातरम् बोल के हर हिंदुस्तानी को कुछ कह गए।
उनकी शहादत हमेशा अमर रहे,भारत माता की जय बोल गए
हिन्दुस्तान का गरम लहू, अब अपनी मातृभूमि के लिये और खौल उठे।।



 बोलो  भारत माता की जय
  वन्दे मातरम्

आप खुश रहें, स्वस्थ रहें, आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ |

  

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