🌱 शैक्षिक प्रशासन में नवाचार: आदिवासी अंचल फरसाबहार से एक स्थायी बदलाव की कहानी
📌 प्रस्तावना:
छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले का विकासखंड फरसाबहार, जहां की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा अनुसूचित जनजातियों से आता है, जहां संसाधनों की कमी, डिजिटल सुविधाओं की न्यूनता और सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव लम्बे समय से शिक्षा के मार्ग में बाधा बने हुए थे। लेकिन इसी क्षेत्र से एक ऐसा बदलाव शुरू हुआ, जिसने शैक्षणिक गुणवत्ता, उपस्थिति, तकनीकी समावेशन और सामाजिक सहभागिता की नई परिभाषा गढ़ दी।
इस बदलाव के सूत्रधार हैं श्री दुर्गेश देवांगन, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिनकी नेतृत्व क्षमता, नवाचारशील सोच और जनभागीदारी के प्रति समर्पण ने इस पिछड़े क्षेत्र को "नवाचार का रोल मॉडल" बना दिया।
🏷️ नवाचार का शीर्षक:
"आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विद्यार्थियों की उपस्थिति वृद्धि, शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार, डिजिटल विस्तार एवं हरित चेतना हेतु बहुआयामी नवाचार"
🎯 नवाचार के प्रमुख उद्देश्य:
- स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति दर बढ़ाना।
- डिजिटल शिक्षा की पहुंच गाँव-गाँव तक ले जाना।
- सरकारी छात्रवृत्ति एवं अन्य शैक्षिक योजनाओं से अधिकाधिक छात्रों को जोड़ना।
- सामुदायिक सहभागिता से शिक्षा में सुधार लाना।
- पर्यावरणीय चेतना और विद्यार्थियों की नैतिक जिम्मेदारी का विकास।
🗺️ नवाचार का क्षेत्र व समयसीमा:
- स्थान: विकासखंड फरसाबहार, जिला जशपुर, छत्तीसगढ़
- समय: शैक्षणिक सत्र 2023-24 से सतत जारी (2 वर्ष)
🧩 नवाचार का विस्तार:
📘 1. "उपस्थिति नवाचार": उपस्थिति से शुरू होती है शिक्षा की क्रांति
पूर्व स्थिति:
- छात्रों की उपस्थिति दर 60–65% के बीच थी।
- छात्रों में सीखने की रुचि कम, अभिभावक असहयोगी।
किया गया नवाचार:
- स्कूल स्तर पर "उपस्थिति चार्ट", प्रेरणादायी पुरस्कार, और समूह प्रतिस्पर्धा।
- स्कूल की सुबह की सभा को रचनात्मक व प्रेरणादायक बनाया गया।
- ‘स्कूल चलो अभियान’ को माता-पिता के साथ संवाद के माध्यम से पुनर्परिभाषित किया गया।
परिणाम:
- औसत उपस्थिति दर 85% से अधिक हो गई।
- शिक्षा में रुचि, अनुशासन और सहभागिता में तीव्र वृद्धि।
💡 2. "डिजिटल लहर": गाँव के स्कूलों में स्मार्ट क्लास का प्रवेश
चुनौतियाँ:
- डिजिटल उपकरणों का अभाव
- शिक्षकों को तकनीकी प्रशिक्षण की कमी
समाधान:
- 15 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना।
- 'संपर्क फाउंडेशन' जैसे संगठनों के सहयोग से स्मार्ट टीवी और डिजिटल कंटेंट की व्यवस्था।
- शिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
परिणाम:
- छात्रों ने तकनीकी माध्यम से शिक्षा में रुचि लेना शुरू किया।
- शैक्षणिक प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार।
🌿 3. ‘एक पेड़ 2.0’ अभियान: हर विद्यार्थी, हर स्कूल एक पौधा
उद्देश्य:
- पर्यावरणीय चेतना, जिम्मेदारी और सहभागिता को बढ़ाना।
रणनीति:
- प्रत्येक छात्र को एक पौधा अपनाने की जिम्मेदारी दी गई।
- पौधों का ट्रैकिंग सिस्टम स्कूल स्तर पर रखा गया।
परिणाम:
- अब तक 2583 पौधे लगाए जा चुके हैं।
- 30 सितंबर 2025 तक 3045 पौधों का लक्ष्य।
- बच्चों में प्रकृति के प्रति अपनत्व और संवेदनशीलता का विकास।
🧾 4. ‘छात्रवृत्ति अभियान’ और आधार पंजीयन
चुनौतियाँ:
- कई बच्चों के पास आधार या अपार आईडी नहीं होने से योजनाओं से वंचित थे।
उपाय:
- विशेष अभियान के तहत 20804 में से 19139 छात्रों का अपार आईडी निर्माण।
- सभी पात्र छात्रों का डिजिटल रूप से सत्यापन।
परिणाम:
- छात्रवृत्ति योजनाओं जैसे राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य योजना में 9 छात्रों का चयन।
- योजनाओं का लाभ समय पर मिलने से उत्साहवर्धन हुआ।
🧠 5. शैक्षणिक गुणवत्ता में अभूतपूर्व उन्नति
- 283 स्कूलों में नवीन शैक्षिक गतिविधियों की शुरुआत।
- कक्षा 5वीं – 99%, 8वीं – 97%, 10वीं – 99%, 12वीं – 98% परिणाम।
- यह प्रदर्शन जिला स्तर पर उत्कृष्टता का प्रतीक बना।
🪢 6. ‘उल्लास साक्षर भारत कार्यक्रम’ की क्रांति
- वयस्क साक्षरता के लिए व्यापक अभियान।
- 5000 पंजीकृत में से 2665 नवसाक्षर मार्च 2025 की परीक्षा में उत्तीर्ण।
- जनजागृति और सामाजिक सशक्तिकरण में बड़ा योगदान।
🤝 सामुदायिक भागीदारी: शिक्षा का सामाजिककरण
- ग्राम पंचायत, पालकगण और शिक्षकों की सतत बैठकें।
- स्कूल प्रबंधन समितियों को नवाचार में भागीदार बनाया गया।
- पौधारोपण, उपस्थिति अभियान और डिजिटल शिक्षा में जनसहयोग।
🛠️ संसाधन प्रबंधन:
- भौतिक संसाधन: स्मार्ट टीवी, डिजिटल कंटेंट, उपस्थिति चार्ट
- मानव संसाधन: शिक्षक, पालक, पंचायत प्रतिनिधि
- प्रौद्योगिकी: मोबाइल संवाद, वीडियो कंटेंट, ऑनलाइन प्रशिक्षण
- वित्तीय सहयोग: न्यूनतम – ग्राम पंचायत, CSR, शिक्षकों का स्वयं योगदान
📈 नवाचार का प्रभाव: मापने योग्य परिवर्तन
सूचकांक | पहले | बाद में |
---|---|---|
उपस्थिति दर | 60-65% | 85%+ |
कक्षा 10वीं परिणाम | 72% | 99% |
साक्षर भारत उत्तीर्ण | 0 | 2665 |
स्मार्ट स्कूल संख्या | 0 | 15 |
अपार आईडी निर्माण | 3000 | 19139 |
🌍 अनुकरणीयता: ये नवाचार पूरे राज्य के लिए प्रेरणा
1. डिजिटल शिक्षा मॉडल: सीमित संसाधनों में डिजिटल विस्तार का रोल मॉडल।
2. आधार/अपार अभियान: योजनाओं में समावेशन हेतु सटीक मॉडल।
3. ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ अभियान: पर्यावरणीय चेतना का व्यावहारिक स्वरूप।
4. नवोदय/छात्रवृत्ति सफलता मॉडल: योजना+मार्गदर्शन+सुनियोजित क्रियान्वयन।
5. साक्षर भारत अभियान: सामुदायिक भागीदारी आधारित साक्षरता आंदोलन।
🏗️ नवाचार की स्थायित्वता:
- शिक्षक प्रशिक्षण और प्रतिनिधित्व से संस्थागत संरचना बनी।
- नवाचारों को स्कूल विकास योजना में जोड़ा गया।
- जिला और विकासखंड स्तर पर दस्तावेजीकरण और समीक्षा तंत्र विकसित।
- सामुदायिक सहभागिता और विभागीय योजनाओं से समन्वय ने स्थायित्व को मजबूत किया।
🔍 समस्याएँ और समाधान:
समस्या | समाधान |
---|---|
संसाधनों की कमी | स्थानीय सहयोग, CSR, सरकारी योजनाएं |
कुछ शिक्षकों का प्रारंभिक असहयोग | प्रेरणा सत्र, उदाहरणों के माध्यम से सहभागिता |
अभिभावकों की भागीदारी कम | संवाद, गृह भ्रमण, सफलता की कहानियों की साझेदारी |
तकनीकी ज्ञान की कमी | डिजिटल प्रशिक्षण, ऑन-कॉल सहयोग |
📜 निष्कर्ष:
श्री दुर्गेश देवांगन द्वारा फरसाबहार विकासखंड में किया गया नवाचार सिर्फ एक अधिकारी का व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि यह “सामुदायिक भागीदारी, शिक्षकीय समर्पण और नेतृत्व क्षमता” का प्रतीक है। यह एक ऐसा मॉडल है, जिसे पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिना अधिक वित्तीय लागत के दोहराया जा सकता है।
यह नवाचार एक सच्चा उदाहरण है कि –
"यदि इरादे नेक हों, नेतृत्व पारदर्शी हो और समुदाय साथ हो, तो किसी भी क्षेत्र को शिक्षा का गढ़ बनाया जा सकता है।"