अबीर गुलाल से रंगे शिक्षक और विद्यार्थी
*स्कूली बच्चों ने खेले अपने शिक्षकों के साथ होली*
शनिवार को स्कूल के जिले के विभिन्न स्कूलों में होली त्योहार की धूम रही होली एक लोकप्रिय प्राचीन हिंदू त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार या वसंत का त्योहार के रूप में भी जाना जाता है यह बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है, क्योंकि यह राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप पर विष्णु की नरसिंह नारायण के रूप में जीत का जश्न मानते है।
इसी परंपरा के अंतर्गत आज माध्यमिक शाला/प्राथमिक शाला कोड़लिया में वार्षिक परीक्षा समाप्त होने के उपरांत सभी बच्चों ने शिक्षक, शिक्षिकाओं के साथ होली महोत्सव मनाया। शिक्षकों ने बच्चों के लिए रंग बिरंगे गुलाल व मिठाइयों की ब्यवस्था किये और सभी बच्चों को मीठा खिलाकर एवं गुलाल लगा कर होली की शुभकामनाएं दिए।
विद्यालय के प्रधान पाठक श्रीमती मधुमती चौहान ने विद्यालय के समस्त स्टॉप, रसोइया व बच्चों को होली की शुभकामनाएं देते हुए होली पर्व के बारे में बच्चों को बताया कि वसंत के आगमन और फाल्गुन के हिंदू कैलेंडर महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा की शाम से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है। अगर बात इंगलिश कैलेंडर की करें तो यह त्योहार मार्च महीने के मध्य में आता है। पहली शाम को होलिका दहन या छोटी होली और अगले दिन होली मनाई जाती है। भारत के राज्यों में इसे डोल पूर्णिमा, धुलेती, धुलंडी, उकुली, मंजल कुली, याओसंग, शिग्मो, फगवा के नाम से जाना जाता है। होली के इस शुभ अवसर पर शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक शाला के समस्त स्टॉप, रसोइया, स्वीपर व भारी संख्या में बच्चे सम्मिलित रहे।