ज्ञान का दर्शन ही जीवन का अंतिम लक्ष्य है :डॉक्टर बीना सिंह
बिलासपुर - पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में b.ed प्रथम वर्ष के छात्राध्यापक के लिए संपर्क क्लास का आयोजन दिनांक 25 अप्रैल 2022 से लेकर के 6 मई 2022 तक चल रही है जिसका 4 दिन का क्लास समाप्त हो चुका है गत दिवस के कुछ गतिविधियों का यहां पर चर्चा की जा रही है अर्थात आप सभी को तृतीय और चतुर्थ दिवस में हुए सभी कार्यकलापों की जानकारी विस्तार पूर्वक मिलेगी।
तृतीय दिवस 27/04/2022
आप गत दिवस प्रथम और द्वितीय दिवस के बारे में अच्छे से जानकारी हमारे पहले लेख से आपको प्राप्त हो गई है आज यहां पर मैं तृतीय और चतुर्थ दिवस में हुए गतिविधियों का विस्तार पूर्वक चर्चा करूंगा जिसमें सबसे पहले तृतीय दिवस में हुए गतिविधि के बारे में आपको जानकारी अच्छे से मिलेगी।
दिनांक 27/04/ 2022 को प्रथम कालखंड प्रारंभ हुआ जिसमें सभी छात्राध्यापक के चेहरे पर उत्साह देखा जा रहा था और प्रथम कालखंड अटेंडेंस के पश्चात शुरू हुआ। यह प्रथम कालखंड जो है, विषय के अनुसार जिसमें विज्ञान विषय के छात्र अध्यापक विज्ञान विषय कक्षा में ,गणित विषय के छात्र अध्यापक गणित विषय के कक्षा में, सामाजिक विज्ञान के छात्र अध्यापक सामाजिक विज्ञान के कक्षा में अध्ययन किए।हमारा प्रथम कालखंड श्रीमती अंजू खेस्स मैम ने लिया जिसमें श्रीमती खेस्स ने सामाजिक विज्ञान विषय पर विस्तार से चर्चा किया गया । इस कालखंड में उन्होंने महत्वपूर्ण टॉपिक पर चर्चा करते हुए बताया की 1. सामाजिक विज्ञान का विभिन्न विषयों से संबंध कैसा है ?जैसे कि दर्शन शास्त्र ,समाजशास्त्र ,नागरिक शास्त्र ,भूगोल ,विज्ञान ,गणित आदि।
विभिन्न विषयों की प्रमुख उद्देश्यों के अंतर्गत मैम ने चर्चा करते हुए बताया की सामाजिक विज्ञान के विषय को सभी विषयों के साथ संबंध बताते कहा की संबंध के साथ अध्ययन करना चाहिए।उनके मार्गदर्शन से यह पता चलता है कि सभी विषयों का एक ही लक्ष्य है व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना जैसे 1.उत्तम नागरिकता का विकास 2. सामाजिक भावना का विकास, बौद्धिक एवं मानसिक विकास ,उत्तम व्यवहार तथा आचरण, सहयोग की भावना, स्वस्थ आदतों का विकास ,अपनेपन की भावना ।मैम ने सामाजिक विज्ञान के इतिहास पर विशेष प्रकाश डाला। विभिन्न सामाजिक विज्ञान शिक्षण पर अपना व्याख्यान देते हुए 2 टॉपिक पर विशेष रूप से चर्चा की।पहला प्रजातांत्रिक दूसरा स्वेच्छा आब्यूह,प्रश्न उत्तर, खोज, प्रोजेक्ट, गृह कार्य, सामूहिक वाद विवाद ,मस्तिष्क ,टोली प्रदर्शन ,अनुदेशन ,व्याख्यान प्रदर्शन, ट्यूटोरियल्स अभिक्रमित अनुदेशन ,इस पर उन्होंने विशेष चर्चा की । विभिन्न शिक्षण विधियों के बारे में जानकारी साझा की,जिसमे कुछ विधि हैं योजना विधि ,निरीक्षण विधि ,प्रयोगात्मक विधि, मस्तिष्क मंथन विधि ,आगमन विधि निगमन विधि, कहानी विधि, तुलनात्मक विधि एवं भ्रमण विधि के बारे में जानकारी प्रदान की।
सामाजिक विज्ञान शिक्षण की विशेषता पर विशेष प्रकाश डालते हुए उन्होंने शिक्षण विधि की विशेषताएं को भी सामने रखा जिसमें कुछ प्रमुख विधियां हैं ,मनोवैज्ञानिक विधि ,व्यवहारिकता ,क्रियाशीलता ,व्यक्ति के सर्वांगीण विकास, स्वस्थ वातावरण बनाने में एवं विशेष शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति पर उन्होंने चर्चा की। पाठ्य सहगामी क्रिया के बारे में उन्होंने जानकारी साझा करते हुए बताया कि कोई भी विषय वस्तु को पाठ्य सहगामी क्रिया के माध्यम से प्रदर्शन करने पर विद्यार्थियों के कौशल में आवश्यक वृद्धि होती है ।उस विषय वस्तु में कुछ इसकी विशेषताएं हैं जिससे व्यक्तिगत आवश्यकता की पूर्ति होती है ,किशोरावस्था की आवश्यकता की पूर्ति होती ह,शारीरिक विकास अनुशासन क्षमता के विकास में सहायक , आदि बिंदुओं पर विशेष रूप से संबोधित किया। इस प्रकार इनका कालखंड समाप्त हुआ।
द्वितीय कालखंड शिक्षा के परिपेक्ष्य में डॉ बीना सिंह मैम ने दर्शन पर चर्चा करते हुए विशेष जानकारी छात्र अध्यापकों के सामने प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने दर्शन के प्रकार आस्तिक ,नास्तिक इस विषय वस्तु पर चर्चा करते हुए विशेष रूप से तत्व मीमांसा ,मूल्य मीमांसा ,ज्ञान मीमांसा और इस कक्षा में उन्होंने न्याय दर्शन पर विशेष बल देते हुए इसी दर्शन पर चर्चा की।
न्याय दर्शन के कुछ प्रमुख पाठ उन्होंने बहुत अच्छे से छात्रा अध्यापकों के सामने व्याख्यान देते हुए बताया की इस दर्शन की प्रमुख बिंदुओं में है, प्रतिज्ञा, हेतु या कारण, दृष्टांत ,उपमान ,निगमन ,आगमन के उदाहरण द्वारा सबसे पहले उन्होंने बताया की किसी भी विषय वस्तु को समझाना ,इस पर पर विशेष रूप से अपने दृष्टिकोण को सामने रखा।विश्लेषण क्या हैं इस पर उन्होंने बताया की किसी विषय वस्तु को छोटे-छोटे टुकड़ों में बनाकर अध्ययन करना ही विश्लेषण कहलाता है इस प्रकार बहुत ही अच्छी जानकारी दर्शन शास्त्र के बारे में डॉक्टर वीणा मैम ने सभी छात्रा अध्यापकों के सामने रखी।
अगले कालखंड में श्रीमती अंजु खेस्स मैम ने सूक्ष्म शिक्षण के बारे में बताते हुए,विभिन्न कौशल घटक के बारे मे जानकारी साझा करते हुए प्रस्तावना कौशल ,पुनर्बलन कौशल और व्याख्यान कौशल के शैक्षिक घटक के बारे में उन्होंने विस्तार पूर्वक सभी छात्र अध्यापकों को समझाया।
चतुर्थ कालखंड में सभी निकेतन के छात्र अध्यापकों ने कला प्रदर्शन के लिए तैयारी हेतु विभिन्न कक्षाओं में जाकर अपनी तैयारी शुरू की और अपने कार्यक्रम की रूपरेखा को उन्होंने अंजाम दिया इस प्रकार उक्त दिवस का गतिविधि समाप्त हुआ अटेंडेंस के पश्चात छात्राध्यापक अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए।
चतुर्थ दिवस 28/04/2022
दिनांक 28/04/2022 को चतुर्थ दिवस का कक्षा तय समय पर शुरू हुआ। श्रीमती वर्षा शशि नाथ मैम ने शिक्षा में सूचना एवं संचार तकनीकी के बारे में बताते हुए विशेष रूप से सबका ध्यान विषयवस्तु पर जोड़ा जिसमें उन्होंने रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन, साक्ष्य अभिक्रमित अनुदेशन के बारे में बताते हुए पुनर्बलन और मैथेटिक्स अभिक्रमित अनुदेशन प्रणाली, उपागम आदि पर विशेष चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षार्थियों को साझा किए। श्रीमती अंजू खेस्स मैम ने सामाजिक विज्ञान विषय का मूल उद्देश्य जिसमें सामाजिक विज्ञान में शिक्षण अधिगम के बारे में उन्होंने अच्छे से जानकारी दी जिसमें सामाजिक विज्ञान शिक्षण अधिनियम के अंतर्गत कुछ बिंदुओं पर उन्होंने चर्चा की जिसमें प्रस्तावना शिक्षण ,सहायक सामग्री की अवधारणा उपयोगिता एवं महत्व ,इंद्रियों से अनुभव प्राप्त करना, विषय वस्तु की स्पष्टता, अनुभव का विकास, प्रत्यक्ष अनुभव के प्रेरक के रूप में अभिप्रेरणा का वातावरण, सक्रिय बनाना बालों की सहायता अनुशासनहीनता की समस्या के हल में सहायक सामाजिक विज्ञान के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक शिक्षण सामग्री और कुछ सावधानियों के बारे में चर्चा की।
द्वितीय काल खंड में प्रदर्शनकारी कला के अंतर्गत अभ्यास हेतु सभी निकेतन के टीम ने अपना अपना कार्य किया।
तृतीय कालखंड में चतुर्थ दिवस के अतिथि व्याख्यान के रूप में प्रोफेसर एसके बाजपेई सर के द्वारा मैनेजमेंट अर्थात प्रबंध के बारे में उन्होंने अच्छे से जानकारी प्रदान की ।प्रबंध (मैनेजमेंट )को परिभाषित करते हुए बताया कि पहले स्वयं का फिर परिवार का एवम समाज का प्रबंध करना होता है यह चक्र में चलता है पहले स्वयं को प्रतिबंधित करना एवम अनुशासित करना है ।
शिक्षक, डॉक्टर वकील ऐसे व्यवसाय हैं जिसमें स्वयं के आत्म नियंत्रण आवश्यक है ये भी एक कला है । जिससे हम सीख सकते हैं अपने व्यवहार में बदलाव कर सकते हैं।इस प्रकार उन्होंने लोकतंत्र के बारे में चर्चा करते हुए विभिन्न लेखकों के विचार में लोकतंत्र का और उनकी अधिकार की रक्षा करना ही लोकतंत्र है ।शिक्षकों को भी विषयवस्तु का ज्ञान होना चाहिए ।ज्ञान का सिद्धांत होता है पढ़ाने वाले शिक्षक होना चाहिए ।इस पर उन्होंने विशेष चर्चा करते हुए एवम तुलना करते हुए उन्होंने अपने विचार शेयर किए। शिक्षक के जरुरी अस्त्र है ज्ञान ,नैतिक ,सदाचार । कंप्यूटर आधार शिक्षा और बिना कंप्यूटर आधारित शिक्षा आदि विषयों पर विशेष प्रकाश डाला। अंत में उन्होंने सत्य क्या है इस विंदू पर कहानी के माध्यम से उन्होंने विभिन्न उदाहरण के माध्यम से छात्र अध्यापकों को संबोधित किया जिससे पता चलता है सत्य ,प्राण ,मन ,चेतना , आनंद ही सत्य है।
तत्पश्चात श्री पवन सिंह राजपूत जी के द्वारा अटेंडेंस लिया गया।
इस प्रकार चतुर्थ दिवस का गतिविधि समाप्त हुआ।
✍️ MUKESH KUMAR
सहयोग : श्री खेमराज राजवाड़े, श्री कमल सिंह राठिया(शिवनाथ निकेतन)
बहुत सुंदर सर। बधाई हो। और तरक्की कीजिए।
ReplyDelete