शैक्षिक नवाचार की मिसाल: श्री दुर्गेश देवांगन का प्रेरणादायक योगदान


📚 शैक्षिक नवाचार की मिसाल: श्री दुर्गेश देवांगन का प्रेरणादायक योगदान

🔷 प्रस्तावना

वर्तमान समय में जब शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रह गई है, वहीं कुछ अधिकारी अपने नवोन्मेषी प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। ऐसे ही एक प्रेरणास्रोत हैं श्री दुर्गेश देवांगन, विकासखंड शिक्षा अधिकारी, फरसाबहार (जशपुर)। इन्होंने वर्ष 2023-25में अपने विकासखंड में जिस तरह से नवाचारों को कार्यान्वित किया है, वह राज्य ही नहीं, पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है।


🔶 नवाचार का उद्देश्य

इस नवाचार का मुख्य उद्देश्य था:

  • सुदूरवर्ती आदिवासी अंचलों में बालकों की स्कूल उपस्थिति बढ़ाना
  • डिजिटल साक्षरता और गुणवत्ता युक्त शिक्षण को बढ़ावा देना
  • सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से विद्यालयों में सुधार लाना
  • पर्यावरणीय जागरूकता तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए पहल

📍 कार्य क्षेत्र और प्रमुख हितधारक

क्षेत्र: विकासखंड फरसाबहार, जिला जशपुर (छ.ग.)

कार्यकाल: फ़रवरी 2023 से जुलाई 2025 और लगातार जारी है।

प्रमुख हितधारक:

  • प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थी
  • शिक्षकगण
  • पालकगण
  • पंचायत प्रतिनिधि
  • उच्च. माध्य. विद्यालय

🛠️ मुख्य नवाचार व प्रयास

1. उपस्थिति आधारित अभियान

  • ‘उपस्थिति चार्ट’ प्रणाली लागू की गई
  • छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति को प्रोत्साहन स्वरूप सम्मानित किया गया
  • इससे उपस्थिति दर 60% से बढ़कर 85% के पार पहुँची

2. डिजिटल एजुकेशन को बढ़ावा

  • Smart Class, TV Box,  जैसे डिजिटल साधनों की स्थापना
  • स्कूलों में टेक्नोलॉजी फ्रेंडली माहौल तैयार किया गया

3. “एक पेड़ माँ के नाम 2.0” योजना

  • पर्यावरण संरक्षण हेतु पौधारोपण
  • विद्यार्थियों की उपस्थिति और वृक्ष के पोषण को एक-दूसरे से जोड़ा गया
  • अब तक 2583 पौधे लगाए जा चुके हैं, लक्ष्य 3045 पौधों का

4. संवादात्मक सामुदायिक बैठकों का आयोजन

  • शिक्षक, पालक, पंचायत व स्वयंसेवी संस्थाओं की सहभागिता
  • CSR सहयोग और ग्राम स्तर पर संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गई

5. विकल्पहीनता से विकल्प की ओर

  • दूरस्थ गाँवों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के लिए Lekarz Van, मोबाइल शिक्षक, और टैब वितरण
  • छात्रवृत्ति योजनाओं (NSIGSE, NMMS) में नामांकन व मार्गदर्शन

📊 आँकड़ों में सफलता

मापदंड नवाचार से पहले नवाचार के बाद
उपस्थिति दर 60-65% 85% से अधिक
परीक्षा परिणाम सामान्य 5वीं - 99%, 8वीं - 97%, 10वीं - 99%, 12वीं - 98%
डिजिटल स्कूल 0 15 स्मार्ट स्कूल
आधार पंजीयन 20804 में से 19139 बच्चों का पूरा
लर्निंग आउटकम मध्यम जिले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त
लाडली लक्ष्मी, छात्रवृत्ति सीमित सभी पात्र छात्र लाभान्वित

🌐 समुदाय और सहयोग की भूमिका

श्री दुर्गेश देवांगन ने यह सुनिश्चित किया कि स्कूलों का विकास केवल शासन पर आधारित न होकर समुदाय के सहभाग से हो:

  • पंचायत से CSR सहायता ली गई
  • NGO के माध्यम से प्रशिक्षण, संसाधन और प्रचार-प्रसार
  • स्कूलों के शिक्षकों की "टीम" भावना विकसित की गई

📦 संसाधनों का सृजन व प्रबंधन

  • Smart TV, plant, attendance chart, registration book, notice board आदि साधन स्थानीय स्तर पर प्राप्त किए गए
  • CSR और सरकारी सहयोग से लैपटॉप, टैब, TV Box जैसे डिजिटल उपकरण प्राप्त हुए
  • स्कूलों में छात्र नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए “बाल संसद” और “सप्ताहिक संवाद” का आयोजन

🔍 परिणाम और प्रभाव

  • जिले की सर्वश्रेष्ठ उपस्थिति और परीक्षा परिणाम
  • अधिकतम आधार कार्ड पंजीयन और विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप पहुँच
  • ‘एक पेड़ माँ के नाम 2.0’ के तहत पर्यावरण संरक्षण व छात्र जागरूकता में वृद्धि
  • राज्य और राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न योजनाओं का 100% कार्यान्वयन

🧩 चुनौतियाँ और समाधान

चुनौतियाँ:

  • दूरस्थ अंचलों में संसाधनों की कमी
  • प्रारंभिक स्तर पर शिक्षकों और पालकों का कम सहयोग
  • तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता

समाधान:

  • शिक्षकों के साथ वर्कशॉप, प्रेरणात्मक बैठकें और मॉडल स्कूल विज़िट
  • पंचायत और NGO की सहायता से संसाधन जुटाना
  • विद्यार्थियों में नेतृत्व निर्माण के लिए नियमित संवाद

🧭 स्थायित्व और भविष्य दृष्टि

इन नवाचारों को केवल व्यक्तिगत प्रयास तक सीमित न रखते हुए श्री देवांगन ने इसे संस्थागत स्वरूप प्रदान किया। जैसे:

  • प्रत्येक नवाचार के लिए स्थायी कार्ययोजना
  • विद्यालय स्तर पर प्रलेखन, अनुश्रवण और पुनरावलोकन की व्यवस्था
  • शिक्षक समुदाय में नवाचार-संवाद मंच का गठन

🏆 अनुकरणीयता एवं प्रेरणा

यह नवाचार केवल फरसाबहार ब्लॉक तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य के आदिवासी अंचलों में प्रतिरूप मॉडल के रूप में कार्यान्वित किया जा सकता है:

  • 'एक पेड़ माँ के नाम 2.0' जैसे पर्यावरण-शैक्षणिक अभियान
  • आधार व डिजिटलीकरण आधारित योजनाएं
  • CSR, NGO और पंचायत आधारित संसाधन प्रबंधन
  • डिजिटल लर्निंग के लिए ग्राम स्तर की संरचना

✍️ निष्कर्ष

श्री दुर्गेश देवांगन द्वारा फरसाबहार विकासखंड में किए गए नवाचार केवल प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि जनभागीदारी, नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतीक हैं। शिक्षा को जमीनी स्तर पर सशक्त और सुलभ बनाना इनका उद्देश्य रहा, और उसमें वे सफल भी हुए हैं। उनके प्रयासों ने यह सिद्ध किया है कि सीमित संसाधनों में भी असीमित परिणाम संभव हैं — बशर्ते नेतृत्व दृढ़ निश्चयी हो और समुदाय समर्पित।

Post a Comment

Previous Post Next Post