छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का प्रथम एकदिवसीय कार्यशाला जशपुर में सम्पन्न*

 *छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का प्रथम एकदिवसीय कार्यशाला जशपुर में सम्पन्न*


*जशपुर*

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा जशपुर जिला में प्रथम कार्यशाला दिनांक 9 अगस्त 2021 को संपन्न हुई। इस कार्यक्रम में जशपुर जिले के अंतर्गत बोली जाने वाली सभी बोली/ भाषाओं का मंथन करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया क्योंकि इस कार्यक्रम में जिले के प्रमुख विषय विशेषज्ञ एवं अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी इस प्रकार है–

राजभाषा आयोग जिला जशपुर के जिला समन्वयक श्री मुकेश कुमार ने बताया कि राजभाषा आयोग  छत्तीसगढ़ द्वारा जशपुर जिले में सर्वप्रथम कार्यशाला आयोजित किया गया और इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि श्री विनय भगत विधायक जशपुर एवं इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्रीमती कल्पना लकड़ा जनपद अध्यक्ष जनपद पंचायत जशपुर उपस्थित थी।


 इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि  श्री महादेव कावरे कलेक्टर जिला जशपुर एवं  श्री के एस मंडावी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जशपुर थे ।


 इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर डॉक्टर सतीश देशपांडे सेवानिवृत्त अपर संचालक उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन, डॉ विजय कुमार रक्षित प्राचार्य शासकीय राम भजन राय, एन. ई. एस. महाविद्यालय जशपुर उपस्थित थे। मुख्य वक्ता के तौर पर श्री बसंत बुनकर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद जशपुर उपस्थित थे।


कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है:-

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री विनय भगत विधायक जसपुर का आगमन सुबह 11:30 बजे हुआ जिनका स्वागत जशपुर अंचल के करमा नृत्य के साथ संपन्न परघनी करने के साथ हुआ। जिसका नेतृत्व राजभाषा आयोग जिला जशपुर के सह समन्वयक श्रीमती कोलेता के मार्गदर्शन में सं ओपन्न हुआ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के आगमन के साथ ही माँ सरस्वती और छत्तीसगढ़ मैया के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।


 इसके पश्चात राजकीय गीत अरपा पैरी के धार की प्रस्तुति श्री राजेंद्र प्रेमी कोषाध्यक्ष/प्रवक्ता छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर, श्रीमती राजेश्वरी साहू जिला सांस्कृतिक प्रभारी छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर एवं कुमारी सरिता लहरे माही जिला सचिव/लेखापाल के द्वारा संगीतमय प्रस्तुती हुई। इसके पश्चात माननीय मुख्य अतिथि का स्वागत छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर, छत्तीसगढ़ के सचिव डॉ अनिल कुमार भतपहरी के द्वारा मुख्य अतिथि विनय भगत विधायक जशपुर,विशिष्ट अतिथि श्री महादेव कावरे कलेक्टर जशपुर, श्री के. एस. मंडावी को पुष्पगुच्छ एवं बैज लगाकर स्वागत किया। साथ में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ सतीश कुमार देशपांडे डॉ विजय कुमार रक्षित श्री बसंत बुनकर एवं अन्य वरिष्ठ जनों का का पुष्पगुच्छ एवं बैज लगाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं श्रीमती कल्पना लकड़ा को पुष्पगुच्छ एवं बैच लगाकर स्वागत श्रीमती राजेश्वरी साहू के द्वारा किया गया। स्वागत पश्चात मां सरस्वती की

 वंदना का नृत्य नागपुरी अंदाज में स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय जशपुर की छात्रा कुमारी इशिका मेनन के द्वारा धमाकेदार प्रस्तुति के साथ शुरुआत हुई,जिनको विधायक महोदय ने पुरस्कृत भी किया। इसके पश्चात सचिव डॉक्टर अनिल कुमार भतपहरी ने स्वागत भाषण के साथ सबका हार्दिक अभिनंदन किया और राजभाषा आयोग के प्रमुख उद्देश्य को माननीय विधायक महोदय की उपस्थिति में  बताया। 

डॉक्टर कुसुम माधुरी टोप्पो द्वारा लिखे गए उरांव और छत्तीसगढ़ी के संबंध में अनुशीलन इस पुस्तक का विमोचन माननीय मुख्य अतिथि के हाथों हुआ। डॉक्टर टोप्पो जिला समिति में जिला सलाहकार है।

मुख्य वक्ता डॉक्टर सतीश देशपांडे जी ने भाषा की विभिन्नता,उसके स्वरूप एवम उच्चारण संबंधी विभिन्नता को प्रमुखता  सभी को बताया।


मुख्य अतिथि श्री विनय भगत ने सादरी में अपना संबोधन और  बात को जशपुरिया अंदाज में रखते हुए,छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ सादरी,लरिया, कुडुख के साथ अंतर्संबंध को बताते हुए कहा कि इन बोलियों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है,जब छत्तीसगढ़ी के साथ नागपुरी मिल जाती है तो सादरी,जब छत्तीसगढ़ी के साथ उड़िया मिल जाती है तो लरिया बोली की उपज होती है,वास्तव में सभी बोली छत्तीसगढ़ी की ही उप बोली है। माननीय विधायक महोदय ने कुडुख में गीत गाकर भाषायी संस्कृति का प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत किया।

जिला समन्वयक  मुकेश कुमार ने इस छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर के कार्यालय हेतु माननीय विधायक महोदय जी से मांग किया था और विधायक महोदय ने जशपुर जिला टीम को यह आश्वासन दिया कि मेरे रहते किसी का भी काम अधूरा नहीं रहेगा और विश्वास दिलाता हूं कि आपको मैं भवन दिला कर ही रहूंगा ।

इस प्रकार अगले क्रम में मुख्य वक्ता डॉ विजय कुमार रक्षित ने सादरी में ही अपनी बात रखते हुए विद्यार्थियों के भाषा के प्रति झुकाव होना आज की संस्कृति की पहचान है, जो विलीन होती जा रही है । उन्होंने कहा कि जब हम बाजार जाते हैं, तो थोड़ा सा पढ़े-लिखे विद्यार्थी  गांव के जो किसान है उनके साथ कोई सब्जी खरीदना हो तो बोलते हैं कितने रुपए का भाटा बोलते है,गांव का किसान तो सादरी ही समझता है ,तो क्यों न हम उनकी मातृ भाषा में बात करें। हमको अपनी मातृभाषा अर्थात इस जशपुर के क्षेत्र में गांव के व्यक्तियों के साथ उनके समझ के बोली (सादरी,लरिया, कुडुख) में बात करना चाहिए,जिससे हमारी संस्कृति बनी रहे। मुख्य वक्ता श्री बसंत बुनकर जी ने अपने उद्बोधन में विभिन्न बोलियों के बीच अंतर्संबंध को विशेष रूप से परिभाषित किया और समझाया कि हम एक हैं, भाषा संस्कृति सबकी एक है बस क्षेत्रीयता के आधार पर हम अलग-अलग रूपों में उसको देखते हैं। राजभाषा छत्तीसगढ़ी बने इसके लिए उन्होंने उदाहरण दिया की कोर्ट में भी आवेदन पत्र छत्तीसगढ़ी एवं क्षेत्रीय बोली में दिया गया था जिसकी कोर्ट ने स्वीकार भी किया, इस प्रकार इनका वक्तव्य समाप्त हुआ।



तीसरे सत्र में कार्यक्रम की व्यस्तता के कारण माननीय कलेक्टर श्री महादेव कावरे, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री के.एस मंडावी जी जनपद अध्यक्ष श्रीमती कल्पना लकड़ा जी उपस्थित रहीं। माननीय कलेक्टर महोदय ने अपने उद्बोधन में अपने जीवन के संघर्ष को जितने भी साहित्यकार साथी हैं उनके समक्ष प्रस्तुत किये उनका वक्तव्य भाव विभोर करने वाला था और किस प्रकार  गांव से पढ़ाई करके आई.ए.एस. की परीक्षा पास होने तक की जो संघर्षरत जिंदगी है उसे सबके सामने रखा जिससे कई युवा साहित्यकार प्रभावित हुए। साथ में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी मंडावी सर ने छत्तीसगढ़ी एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा छत्तीसगढ़ी के बोली मा बहुत मिठास हे और हमर भाखा बोली ला संजोय के रखना लेखक साहित्यकार अऊ  हम सब झन के जिम्मेदारी हे। इस कार्यक्रम की  अध्यक्षता कर रहीं श्रीमती कल्पना लकड़ा जी ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर की टीम  को कार्यक्रम करने के लिए बहुत-बहुत बधाई प्रेषित की।

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉक्टर अनिल कुमार भतपहरी ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि,अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया साथ ही इस कार्यक्रम में सम्मिलित सभी साहित्य प्रेमीयों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सादरी गायक व साहित्यकार श्री चंदन दास एवं उनके  सुपुत्र श्री राहुल दास की संगीत टीम,सादरी गायिका/साहित्यकार  श्रीमती मित्री देवी ,सादरी गायक/साहित्यकार श्री सुकर साय(पंचायत सचिव आरा),सादरी साहित्यकार श्रीमती  कोलेता तिग्गा,श्रीमती ममता चौहान ,सुश्री प्रियंका टोप्पो, श्रीमती हरमनी लकड़ा ने सादरी धुन पर प्रस्तुति देकर समा बांधा। कवि एवम लेखक श्री अनंत कुमार सिंह ने अपनी जशपुर की विविध संस्कृति पर कविता सुनाकर भावविभोर किये । कवयित्री श्रीमती कल्पना टोप्पो ने कुडुख में प्रस्तुति करण देकर कुडुख की महता को बताया । इस कार्यक्रम में कवि/ साहित्य कार राजेंद्र प्रेमी जी ने बेटी बचाओ पर बहुत ही मार्मिक गीत *"मत मारव, झन मारव कोख मां"* ये कविता सुन के सबके आखों में आंसू आ गए। साहित्यकार/गायिका श्रीमती राजेश्वरी साहू की छत्तीसगढ़ी गीत प्रस्तुति में सबका मन उत्साह से भर गया। इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी माननीय सदस्यों के स्वलापहार व भोजन की व्यवस्था कलेक्टोरेट परिसर में स्थित गढ़कलेवा में किया गया था।

इस कार्यक्रम का संचालन श्री मिलन मलरिहा (संरक्षक,छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर), कु.सरिता लहरे"माही"(सचिव/लेखापाल), एवम जिला समन्वयक मुकेश कुमार के द्वारा(अलग-अलग भाषा/बोली में) बारी - बारी से किया गया। इस कार्यक्रम में राजभाषा आयोग छत्तीसगढ़ के सचिव डॉक्टर अनिल कुमार भतपहरी एवम टीम का जिला समन्वयक मुकेश कुमार,मिलन मलरिहा,राजेंद्र प्रेमी,सरस्वती चौहान,कोलेता तिग्गा,मनवर अशरफी एवम छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग जिला जशपुर द्वारा स्मृति चिन्ह देकर आभार व्यक्त किया।

इस कार्यक्रम में  लगभग 200 व्यक्ति शामिल हुए । इस कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप सेछत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जशपुर की टीम, स्वास्थ्य विभाग,नगर पालिका,पुलिस प्रशासन,शिक्षा विभाग एवम गढ़कलेवा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग,छत्तीसगढ़ के सचिव डॉक्टर अनिल कुमार भतपहरी एवम जिला समन्वयक श्री मुकेश कुमार ने सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया है।

*आइए जानते हैं, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग जिला जशपुर की टीम में कौन कौन  हैं शामिल–*

1.मुकेश कुमार - जिला समन्वयक(जशपुर जिला राजभाषा आयोग के मुख्य  पदाधिकारी)

2.मिलन मलरिहा - जिला संरक्षक

3.श्री आनंद मिश्रा (जिला सह संरक्षक)

4.कुमारी सरिता लहरे"माही" - सचिव/लेखापाल(जिला कार्यालय प्रभारी)

5.श्री राजेंद्र प्रेमी (जिला कोषाध्यक्ष/प्रवक्ता)

6.श्री परमानंद नागदेव (जिला सह कोषाध्यक्ष)

7. श्रीमती कोलेता तिग्गा (जिला सह समन्वयक क्षेत्रीय बोली)

8.श्रीमती सरस्वती चौहान (सह समन्वयक छत्तीसगढ़ी)

9.डॉक्टर कुसुम माधुरी टोप्पो(जिला सलाहकार)

10. श्रीमती कल्पना टोप्पो (जिला सलाह कार)

11. श्रीमती हरमनी लकड़ा(जिला सह सचिव)

12. श्री पुष्पेंद्र शुक्ला

 ( जिला सांस्कृतिक प्रभारी)

13.श्रीमती राजेश्वरी साहू

   (जिला सांस्कृतिक प्रभारी)

14.श्री राजेंद्र बड़ाईक

    (जिला सांस्कृतिक प्रभारी)

15.श्रीमती मित्री देवी

    ( जिला सह सांस्कृतिक प्रभारी)

16. सु श्री प्रियंका टोप्पो

    (जिला सह सांस्कृतिक प्रभारी)

17.श्री अनंत कुमार सिंह

    (जिला मीडिया प्रभारी)

18. श्री सुकर साय

    (ब्लॉक समन्वयक जशपुर)

19.श्रीमती ममता चौहान

     (ब्लॉक समन्वयक फरसाबहार)

20.श्री राहुल दास

(ब्लॉक समन्वयक मनोरा)

21. मन्नवर अशरफी

 (ब्लॉक समन्वयक बगीचा)


 उपर्युक्त जशपुर जिला के टीम को डॉक्टर अनिल कुमार भतपहरी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बधाई व धन्यवाद ज्ञापित किये। तथा आयोग के द्वारा दिए गए निर्देश एवम राजभाषा , क्षेत्रीय बोली के  विकास में दिए गए कार्य का संपादन करने के लिए अग्रिम बधाई दी। सचिव महोदय के आगमन एवम कार्यक्रम जशपुर जिला में करने के लिए जिला समन्वयक जशपुर छत्तीसगढ़ राजभाषा  आयोग का हार्दिक आभार व्यक्त किया है।

*आइए जानते हैं,छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के बारे में*

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन  का विधेयक 28 नवंबर 2007 को छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा पारित किया गया था। इसलिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रतिवर्ष 28 नवंबर को राजभाषा दिवस रूप में मनाया जाता है।

राज भाषा आयोग अपने छत्तीसगढ़ी बोली के अन्य विभिन्न रूप जैसे सादरी,लारिया, कुडुख आदि बोलियों की संस्कृति, परंपरा,रीति रिवाज, शब्दकोश, को संरक्षित करने का कार्य करती है। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की  *माई कोठी योजना* इस योजना का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग में छत्तीसगढ़ी या छत्तीसगढ़ी से संबंधित किसी भी भाषा की पुस्तकों का क्रय कर संग्रहित करने की योजना है।

दूसरा *बिजहा योजना* छत्तीसगढ़ी तथा इसके उपबोली ,सादरी,लरिया, कुडुख के लुप्त होते शब्दों को संग्रहित करने हेतु इस योजना को प्रारंभ की गई है,जिसका उद्देश्य प्रचलन से बाहर हो रहे सभी शब्दों को संग्रह करने एवं प्रचलन में लाने की योजना है। 

राजभाषा आयोग के प्रमुख कदम हैं–

1.छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए राजकाज के दिशा में कार्य किया गया।

2. गुरतुर गोठ नाम की छत्तीसगढ़ी वेब पत्रिका के संपादक संजीव ने छत्तीसगढ़ी में की बोर्ड बनाने में गूगल को सहयोग दिया।

3.पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्व विद्यालय में छत्तीसगढ़ी भाषा में पी.जी. डिप्लोमा कोर्स प्रारंभ किया गया।

4.कुशा भाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवम जनसंचार वि. वि. में छत्तीसगढ़ी पाठयक्रम चालू करने की घोषणा की गई।

5.राजभाषा अधिनियम की धारा 7 में उच्च न्यायालय के फैसलों में हिंदी या अन्य राजभाषाओं के वैकल्पिक उपयोग का प्रावधान है।

*छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के उद्देश्य और लक्ष्य*

1.राजभाषा को  संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना।

2.छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा के उपयोग में लाना।

3.त्रि-भाषी भाषा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल कराना।

4.छत्तीसगढ़ी संग स्थानीय भाषा/ बोली का संरक्षण एवम संवर्धन करना है।

1 Comments

  1. बहुत सुन्दर
    सुन्दर आयोजन और सफ़ल कार्यक्रम के लिए आप सभी को बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।

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